हम जो टूटे शाख़ से तो वह फ़तह पाते गए हम जुड़े रहते शजर से तो शिकस्त होती नही आप बीती सुन रहे हो हर परेशाँ हाल की हम से तो अपनी बयाँ सर गुज़िशत होती नहीं सच्ची बातें बोल कर वह दिल सभी का जीत लें आज के हुक्काम की ऐसी सरिश्त होती नहीं तालिब ए जन्नत हो तो आमाल भी अच्छे करो यूँ किसी आसी के लिए तो बहिश्त होती नहीं सच्चे लोगों की रिफ़ाक़त है हमें सब से अज़ीज़ दरमियाँ झूटों के मेरी हर नशिस्त होती नहीं #Genesis #Nojoto #Shaakh #Fatah #Shayri #Bahisht आसी:गुनहगार बहिश्त:जन्नत