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राज़ अंदर ही समोता तो समंदर होता । दिल कोई रोज़ न

राज़ अंदर ही समोता तो समंदर होता ।

दिल कोई रोज़ ना रोता तो समंदर होता ।

तेरी ज़िद ने तुझको तालाब बना रक्खा है ।

तू मेरे पांव भिगोता तो समंदर होता  ।



by # Shahid jaki # Shahid jaki poetry #
राज़ अंदर ही समोता तो समंदर होता ।

दिल कोई रोज़ ना रोता तो समंदर होता ।

तेरी ज़िद ने तुझको तालाब बना रक्खा है ।

तू मेरे पांव भिगोता तो समंदर होता  ।



by # Shahid jaki # Shahid jaki poetry #
azeemkhan5403

Azeem Khan

Gold Star
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