राज़ अंदर ही समोता तो समंदर होता । दिल कोई रोज़ ना रोता तो समंदर होता । तेरी ज़िद ने तुझको तालाब बना रक्खा है । तू मेरे पांव भिगोता तो समंदर होता । by # Shahid jaki # Shahid jaki poetry #