मेरे दिन की शुरुआत तुम्हारे गुड मॉर्निंग से होती थी और रात का ढलना तेरे गुड नाईट से। इसी बीच चाहे कितने ही मसरूफ़ क्यूँ न हो, एक दूसरे को याद करने का बहाना ढूढं ही लेते थे, भले ही वो किसी ज़रूरी बात से रिलेटेड ना हो। बस चाहत थी कि हर पल का हम हिस्सा हो। बड़ो के इस भेष में बच्चे ही थे हम। निःस्वार्थ प्रेम की परिभाषा का प्रतीक। न जाने बड़े क्यूँ हो गए हम? #बहाना #हिस्सा #भेष #निःस्वार्थ #प्रेम #yqbaba #yqdidi