जिन पीड़ाओं की आवाज़ नहीं होती,उन्हें लिखकर कहा जाता है। वो भर लेती हैं बड़े से बड़ा घाव जब उन्हें पढ़ा जाता है।उन्हें किसी के समय की नहीं संवेदना की ज़रूरत होती है। तब जाकर कहीं अवयक्तता की जकड़न से मुक्त हो पाती हैं। #पीड़ाएं