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बेटी की शादी में घर गिरबीं पड़ जाने के बाद केशव और

बेटी की शादी में घर गिरबीं पड़ जाने के बाद केशव और उसके 
पूरे परिवार को एक किराये के घर में रहने को मजबूर होना पड़ा।
एक तो पहले से ही केशव के पिता की आमदनी कम थी ऊपर से
अब एक मकान का किराया जो कि 3000 रुपये मासिक था।उसे
भरने के लिए वे पहले से और ज्यादा परिश्रम करने लगे।केशव को
ये विल्कुल भी अच्छा न लगता कि उसके होते हुए उसके पिता इतना
ज्यादा परिश्रम करते हैं।उसका मन करता कि वो भी अपने पिता के
साथ काम पर जाए और उनकी मदद करे लेकिन वो उसका काम
करना बाल-परिश्रम निषेध नियम के खिलाफ था इसीलिए उसे कोई
काम पर न रखता।लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था।

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©Pihu
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