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मैं निश्चय करके कभी नहीं निकलता,मुझे तो बस-अदेखे अ

मैं निश्चय करके कभी नहीं निकलता,मुझे तो बस-अदेखे अजाने रास्तों में भटकना अच्छा लगता है।सोचता हूं,राह मालूम हो,मंजिल मालूम हो तो चलने का आनंद ही नहीं रह जाएगा।
#बेवजह_के_ख्याल poet #mann#ki#baat#friends#thanks
मैं निश्चय करके कभी नहीं निकलता,मुझे तो बस-अदेखे अजाने रास्तों में भटकना अच्छा लगता है।सोचता हूं,राह मालूम हो,मंजिल मालूम हो तो चलने का आनंद ही नहीं रह जाएगा।
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jaiatamjain4748

SUNNY JAIN

New Creator