कितना हसीन था वो पल जब पहली बार तुझे रोहिणी में ही देखा था, माना नादान सी थी पर महसूस तो साकेत सा करती थी, अरमान तो ऐसे आसमान छूते थे मानो कुतुब मिनार भी छोटा पड़ जाए, पर ना दस्तूर ने साथ दिया तब ना वक्त ने पर ज़िंदगी एकदम राजीव चौक सी हो गयी, बदलाव तो होना ही था, क्योंकि तेरा आना भी महज इत्तेफ़ाक ना था, लिखा था किस्मत की पटरी पर, कि तेरे नाम की गाड़ी आएगी तो सही और ज़िंदगी को फ़िर से लोधी गार्डन बनाएगी तो सही| Participate in this #rapidfire and dedicate a 6 line poem to your city. #citypoem #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba #delhi #delhite #delhidiaries #challengeaccepted #collabchallenge