वो हमसफ़र था मगर उससे हमनवाई ना थी के धूप छाँव का आलम रहा जुदाई ना थी अदावतें थीं दगाफुल था रंजिशें थी मगर बिछड़ने वाले में सब कुछ था बेवफाई ना थी बिछड़ते वक़्त उन आंखों मे थी हमारी गज़ल गज़ल भी वो जो किसीको. कभी सुनाई ना थी के धूप छाँव का आलम रहा जुदाई ना थी वो हमसफर था▪▪▪▪▪▪▪ #QuratulainBaloch #Ghazal