पिंजरबंद है आत्मा चैन कहाँ से पाऊं मैं, समेट-समेट के आशाएं किस ओर को ले जाऊँ मैं। नीर नयनों के अब कैसे छिपाऊं मैं, ह्रदय शोकग्रस्त है मेरा कैसे अब मुस्कुराऊँ मैं।। Like Comment Share Follow #rupaliyadav #yqdidi #sad