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पिंजरबंद है आत्मा चैन कहाँ से पाऊं मैं, समेट-समेट

पिंजरबंद है आत्मा चैन कहाँ से पाऊं मैं,
समेट-समेट के आशाएं किस ओर को ले जाऊँ मैं।
नीर नयनों के अब कैसे छिपाऊं मैं,
ह्रदय शोकग्रस्त है मेरा कैसे अब  मुस्कुराऊँ मैं।।
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#rupaliyadav
#yqdidi
#sad
पिंजरबंद है आत्मा चैन कहाँ से पाऊं मैं,
समेट-समेट के आशाएं किस ओर को ले जाऊँ मैं।
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rupaliyadav1975

rupali yadav

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