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कहने को कितनी बातें हैं फिर भी लब खामोश रहे वो सोच

कहने को कितनी बातें हैं
फिर भी लब खामोश रहे
वो सोच रही कुछ मैं कह दू
मैं सोचता हूँ वो मुझसे कहे

©अभय (पथिक)
  #kahne_ko_kitni_baate