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मनवा मनवा तू धीर धर सांसों को अब गंभीर कर आंखों को

मनवा मनवा तू धीर धर
सांसों को अब गंभीर कर
आंखों को अपनी मिच कर
शब्दो को तू शमशिर कर

पथ में काटें तो होंगे ही
सरिता और उपवन भी होंगे
उनकी सक्षम सुंदरता में
संकल्प साहस घोल कर

चलता जा मन से अनुरागी
लय को अपनी मोड़ कर
पा जाएगा मधुशाला भी
बिन पिए सब कुछ छोड़ कर

संसार को ना त्याग तू
चाहत की प्यास बुझाने को
सागर खुद चलके आएगा
खुद कुदरत को जंझोड़ कर संकल्प, साहस व ध्रीड़ निश्चय से सब कुछ मुमकिन है।
#dharmuvach #inspiration #yqhindi #yqhindiurdushayri #yqhindiurdu #yqhidipoem
मनवा मनवा तू धीर धर
सांसों को अब गंभीर कर
आंखों को अपनी मिच कर
शब्दो को तू शमशिर कर

पथ में काटें तो होंगे ही
सरिता और उपवन भी होंगे
उनकी सक्षम सुंदरता में
संकल्प साहस घोल कर

चलता जा मन से अनुरागी
लय को अपनी मोड़ कर
पा जाएगा मधुशाला भी
बिन पिए सब कुछ छोड़ कर

संसार को ना त्याग तू
चाहत की प्यास बुझाने को
सागर खुद चलके आएगा
खुद कुदरत को जंझोड़ कर संकल्प, साहस व ध्रीड़ निश्चय से सब कुछ मुमकिन है।
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dharmdesai1546

Dharm Desai

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