मनवा मनवा तू धीर धर सांसों को अब गंभीर कर आंखों को अपनी मिच कर शब्दो को तू शमशिर कर पथ में काटें तो होंगे ही सरिता और उपवन भी होंगे उनकी सक्षम सुंदरता में संकल्प साहस घोल कर चलता जा मन से अनुरागी लय को अपनी मोड़ कर पा जाएगा मधुशाला भी बिन पिए सब कुछ छोड़ कर संसार को ना त्याग तू चाहत की प्यास बुझाने को सागर खुद चलके आएगा खुद कुदरत को जंझोड़ कर संकल्प, साहस व ध्रीड़ निश्चय से सब कुछ मुमकिन है। #dharmuvach #inspiration #yqhindi #yqhindiurdushayri #yqhindiurdu #yqhidipoem