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"लफ्ज ए शायरी " मे सबकी पसंद थी, मेरी पसंद का को

"लफ्ज ए शायरी   "
मे सबकी पसंद थी,
मेरी पसंद का कोई नही था।
मे सबसे हसीन थी,
मेरा कोई वजूद नही था।
मे सबकुछ होकर भी कुछ नही थी,
मेरे लफ्ज यू पिंजरे मे कैद थे।
मेरे सपने मेरी जान थी,
मे न सुलझनेवाली एक पहेली थी।

©ashwini khemnar lafzon ka safarnama #dil ki baat u jubaan par aa gayi,
phir ek kahani ho gayi..
"लफ्ज ए शायरी   "
मे सबकी पसंद थी,
मेरी पसंद का कोई नही था।
मे सबसे हसीन थी,
मेरा कोई वजूद नही था।
मे सबकुछ होकर भी कुछ नही थी,
मेरे लफ्ज यू पिंजरे मे कैद थे।
मेरे सपने मेरी जान थी,
मे न सुलझनेवाली एक पहेली थी।

©ashwini khemnar lafzon ka safarnama #dil ki baat u jubaan par aa gayi,
phir ek kahani ho gayi..