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आज हमें, प्रकृति ललकार रही है। पुकार भी रही है। वह

आज हमें,
प्रकृति ललकार रही है।
पुकार भी रही है।
वही हमारी मां भी है।
हमने जो उसका अपमान किया,
उसके लिए क्षमा मांगते हुए
जीवन की नई डगर पकड़ें।
जहां न जाति, न समाज।
सब अपने-अपने घरों के भीतर।
बाहर हम एक पेड़ के पत्ते। #विज्ञान_का_ताण्डव  देखकर तो यही लगता है कि #21_दिन_का_लॉक_डाउन आगे बढ़ा दिया गया है। अब हमको पहले से और अधिक सजग और जागरूक होने की जरूरत है। रोज नए रोगियों की संख्या में होता इज़ाफ़ा संकट को बढ़ा रहा है तो वहीं राहत भी मिली है।राजस्थान में संक्रमित सभी लोगों को ठीक कर लिया गया है।
फिर भी हमें इस संकट को कमतर आंकने की भूल नहीं करनी है। जय श्री राम।
:
जुड़वां भाई-बहिन।
किसी को भी खोकर हम सुखी नहीं।
न कोई भूखा सोए, न इलाज से वंचित रहे। यदि हुआ,
तो यह हमारा और हमारी संस्कृति का अपमान होगा।
नर की सेवा ही नारायण-व्यक्ति ही देश-व्यक्ति ही ब्रह्म-के योग का मार्ग है।
आज हमें,
प्रकृति ललकार रही है।
पुकार भी रही है।
वही हमारी मां भी है।
हमने जो उसका अपमान किया,
उसके लिए क्षमा मांगते हुए
जीवन की नई डगर पकड़ें।
जहां न जाति, न समाज।
सब अपने-अपने घरों के भीतर।
बाहर हम एक पेड़ के पत्ते। #विज्ञान_का_ताण्डव  देखकर तो यही लगता है कि #21_दिन_का_लॉक_डाउन आगे बढ़ा दिया गया है। अब हमको पहले से और अधिक सजग और जागरूक होने की जरूरत है। रोज नए रोगियों की संख्या में होता इज़ाफ़ा संकट को बढ़ा रहा है तो वहीं राहत भी मिली है।राजस्थान में संक्रमित सभी लोगों को ठीक कर लिया गया है।
फिर भी हमें इस संकट को कमतर आंकने की भूल नहीं करनी है। जय श्री राम।
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जुड़वां भाई-बहिन।
किसी को भी खोकर हम सुखी नहीं।
न कोई भूखा सोए, न इलाज से वंचित रहे। यदि हुआ,
तो यह हमारा और हमारी संस्कृति का अपमान होगा।
नर की सेवा ही नारायण-व्यक्ति ही देश-व्यक्ति ही ब्रह्म-के योग का मार्ग है।