कहना बहुत कुछ चाहती हूँ.... लेकिन कह नही पाती हूँ ... बाती प्रेम की लिखना चाहती हूँ.... लेकिन लिख नहीं पाती हूँ... तुम आकर क्यो छेड़ ज़ाते हो... दिल के तार... क्यो मुझ पर जरा तरस नहीं खाते हो....... याद रखना नहीं चाहती... लेकिन हर पल याद आते है... वो शब्दो का तेरा ताना बाना... कहा था ना मैने... रहुगी साथ हमेशा... जब तक सांस है.. य़ा.. जब तक तुम चाहोगे.. . लेकिन देखलो... तुम ने अपना रस्ता बदल लिया... नहीं है कोई शिकवा.. तुमसे... चाहे रहे दूर हमसे. .. लेकिन मेरी चाहत.. का कोई मोल तुम प ना सकोगे... मेरी मोहब्बत का पार तुम कभी पा ना सकोगे... याद हमे कभी जब तुम करोगे... आसमां से देख तुम्हे हम भी मुस्कुरायेंगे..... कहना बहुत कुछ चाहती हूँ.. .. ©पूर्वार्थ #कहनाथातुमसे