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White दो जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जून

White दो जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको
नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको
सुबह शामों आठों यामों में 
उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,,
और कमाल ये कि 
जिनके लिए जिंदगी झोंकी ,,
सपने  मारे,,
अरमानों के गले दबाए 
खून के आसू दिल को पिलाए,,,
वो कहे तुम काम न आए 
किए नहीं कुछ भी काम हमारे,,,

रात दिन और दोपहरों 
भटकते फिरते हैं, हर घर ,
गांव डगर और शहरों 
हर घड़ी पल छिन और सारे प्रहरों 
बरस रहे हो हम पर सारे क्रूर कहरों 
इधर उधर, यहां वहां 
जाने भटके कहां कहां,,,
सफर ना मंजिल ना हमसफर हमारे ,, 
किधर जाएं हम कहां जाके ढहरें

महीने बीते सालें गुजारी लगता जैसे सदियों से ये जिन्दगी किसी नर्क में ढहरी,,,,
  ,,,,.rky.......१.......१६२५.,,,,,,

©Rakesh frnds4ever
  #दो_जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको
नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको
#सुबह #शामों  आठों यामों में 
उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,,
और कमाल ये कि 
@जिनके लिए #जिंदगी झोंकी ,,
सपने  मारे,,
#अरमानों  के गले दबाए

#दो_जून की भी ,, मयस्सर नहीं उनको नो - नो जूनो से बांधा गया है जिनको #सुबह #शामों आठों यामों में उलझ रहें हैं बस काम और कामों में ,,, और कमाल ये कि @जिनके लिए #जिंदगी झोंकी ,, सपने मारे,, #अरमानों के गले दबाए #सदियों #घर #नर्क #कोट्स #रातदिन #प्रहरों

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