मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी है बेहोशी भी रहती है खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है सरकार के वादे, और प्रशाशन के दबे इरादे दिल ज़ख्मी कर चुके हैं रसूखदारों के कारनामें वीरान -सी ज़िन्दगी है किसका नतीज़ा कसर तो हमनें कहीं से न था छोड़ा दोष दे किसको किसपर फोड़े ठीकरा चोर- चोर यहाँ सब भाई मौसेरा अनगिनत डिग्रीयों के बाद भी ज़िंदगी हुई रैन बसेरा । मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें ©gudiya मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी है बेहोशी भी रहती है खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है