हालत अपनी तंग है, फूटी कौड़ी ना संग है जिंदगी कितने बदलती रंग है, गमो मे कोई न संग है जमाने मे सबको नजर आता पैसो का रंग है जमाना साथ है , जब पैसो का संग है पैसो के बिना मोहाब्बत का दरवाजा बंद है , बीवी का भी होता माथा तंग है , खाने को रोटी ,दाल का न संग है पानी का अब बदल गया रंग है गर्मी मे पंखे बिना माथा गरम है और चलती नही बेशरम पवन है , बिजली का आना हुआ बंद है , जब से फूटी कोड़ी का भी ना संग है जिंदगी एक शतरंज है पैसो के बिना जिंदगी रंज है "हालात अपनी तंग है"