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मै खुदबखुद टूट जाता..... नाजुक था बहुत, तूने श

मै खुदबखुद टूट जाता..... 

नाजुक था बहुत, 

तूने शब्दों  से तोड़ दिया......।

Dr.Vishal Singh 

वात्सल्य  प्रेम से बड़ी रौशनी नहीं कोई। प्रेम वो दीपक है जो अंदर-बाहर दोनों को प्रकाशित करता है। 
#प्यारसे #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
मै खुदबखुद टूट जाता..... 

नाजुक था बहुत, 

तूने शब्दों  से तोड़ दिया......।

Dr.Vishal Singh 

वात्सल्य  प्रेम से बड़ी रौशनी नहीं कोई। प्रेम वो दीपक है जो अंदर-बाहर दोनों को प्रकाशित करता है। 
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