खुद को मैं तलाश रही हूं, कहा हूं कहा नहीं यही सुलझा रही हूं चेहरे पे हँसी है दिल में दर्द छुपा रही हूं। रहा पे चलती राही हूं, जैसी हूं वो बता रही हूं दुनिया गोल है सोच बहुत है क्या मैं सही हूं यही तलाश रही हूं चेहरें पे हँसी है दिल में दर्द छुपा रही हूं। आपनो की परेशानी मेँ, परेशां हूं फिर भी अपनी परेशानी तालाश रही हूं क्या में सही हूं यही तालाश रही हूं चेहरें पे हँसी हैं दिल में दर्द छुपा रही हूं। अपनी बात किसी से कहती नहीं, पन्नो पे उत्तर देती हूं आशु अपने छुपा लेती हूँ क्या मैं सही हूं यही तलाश रही हूं चेहरे पे हँसी है दिल में दर्द छुपा रही हूं। हमेशा खुश रहना, दोस्तों के साथ मज़े करना घूमना फिरना तो कभी अकेले में मन भरके रोना क्या में सही हूं यही तलाश रही हूं चेहरे पे हँसी हैं दिल में दर्द छुपा रही हु। सोचती हूं बहुत, बोल कुछ पाती नहीं क्या में सही हूं यही तलाश रही हूं चेहरे पे हँसी है दिल में दर्द छुपा रही हूं। कहा ना मैंने, खुद को में तलाश रही हूं कहा हूं कहा नहीं यही शुल्झा रही हूं चेहरे पे हँस है दिल में दर्द छुपा रही हूं। BY:-SAKSHI NAGAR khud ko talash rhi hu ....... #sakshi nagar