रे मनुष्य - तू जब नही अमर फिर किस बात का डर जो बना तू कायर ! जब प्रतिहिंसा हो अपावन तब तेरा कदम कौन सा... होगा पावन ! क्या दिखायेगा प्रीति का बल या लगाएगा बुद्धि का बल जो समर्पण करेगा तेरे आगे खल ? अपना युद्ध की नीति साथ ही याद रख समाज की रीति कर दुष्ट से भी प्रीति तभी होगा सत्य का तोल यों ही मिलेगा मानवता का मोल..!! पथ चूमेगा तेरा तस्कर नही होगा तू कातर नही बनेगा तू कायर यों हो जाएगा तू अमर