एक लम्हा लगा बिखरने को काँच की तरह सपनों को .. क्या ख़ूब सिखाया सपनों ने !! देखके बचपन - बेग़ानों का और जवानी - दीवानों की कुछ अपना होता तो क्या सपना होता ?