जज़्बातो को लफ्ज बना कर कलम के सहारे उकेरा ही था की अफवाह ये शहरेआम हो गई हमें इश्क़ हुआ है उनसे.......!! चंद कविताओं के जरिए जाहिर ये सरेआम हो गई लोगों ने भी कयास लगाए आखिर मुहब्बत पर लिखा है तो लाज़मी है की मुहब्बत भी हुई होगी बेखबर है वो इस बात से मुहब्बत पर लिखना मुहब्बत होने की असली वजह नहीं होती | #muhbaat