हाल ना पूछो दिल का तन्हा, कैसे सिसकता है यह रोता है पल-पल याद में तिरी, कैसे बिलखता है यह सुकून का लम्हा एक पल का पाकर महकता है यह उम्र भर तेरे दीदार को ही फ़िर रहता तरसता है यह जला दो जिस्म उल्फ़त जो जवां रूह में फ़िर भी यह ज़माना ही मिटाता है, हमेशा 'प्यार' जाने क्यूँ है यह दूरियाँ लाख सही, तुमसे मिलने को मचलता है यह ज़माने की फ़ितरत है प्रेम 'पुष्प' को कुचलता है यह बेदर्द है ज़माना, देख पीड़ा 'प्रेम' की चहकता है यह आहे प्रेम से सुकून इसका, इससे ही पनपता है यह पंक्तियाँ:_ जला दो जिस्म उल्फ़त जो जवां रूह में फ़िर भी ज़माना ही मिटाता है, हमेशा 'प्यार' जाने क्यूँ ।। #restzone #rztask82 #rzलेखकसमूह #bedard #jamana #जमाना #बेदर्द