!!#कविवर शिवमंगल सिंह 'सुमन' की कलम"जीवन की गाण"से!! यह हार एक विराम है जीवन महा-संग्राम है तिल-तिल मटुंगा पर दया की भीख मैं लूंगा नहीं वरदान माँगुंगा नहीं।। स्मृति सुखद प्रहरो के लिए अपने खण्डहरो के लिए यह जान लो मैं विश्व की सम्पति चाहूंगा नहीं वरदान माँगुंगा नहीं।। क्या हार मैं क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संघर्ष पथ पर जो भी मिला यह भी सही वह भी सही वरदान माँगुंगा नहीं।। लघुता ना अब मेरी छुओ तूम हो महान बने रहो अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं वरदान माँगुंगा नहीं।। चाहे हृदय को ताप दो चाहे मुझे अभिशाप दो कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागुँगा नहीं वरदान माँगुंगा नहीं।। #कविवर शिवमंगल सिंह "सुमन" कि रचना जीवन गाण से