किसी को परवाह सरकार की तो किसी को चिंता बंगाल की। चिंता कौन करेगा बच्चों के बिगड़ते हाल की। क्या फकत बस लापरवाह का नजरिया तुम्हारा । जरा सी तो परवाह करो अपने जहनों ख्याल की। जाकर देखो कभी तुम बिहार में लाशों का सफीना है। खून रंगी सफेद पोशाके और ड़र से माथे पर पसीना है। सियासत में खुद को इतना बेशर्म मत करीये। तुम्हारी बेबसी और खामोशी ने उने छीना है। आखिर कब तक इस पर हाथ बाँध कर बैठोगे। सब देख कर भी कब तक मौन साध कर बैठोगे। पटना सुने दिल्ली भी सुने काली घटा और अन्धेरी आहें भरी रातें है। इस सियासत में क्या जमीर भी बेगैरत कर बैठोगे। जरा सी चिंता करलो बच्चों के बिगड़ते हाल की। अपने जमीर की और जहनों ख्याल की। OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sivya singh rajput🌸