बगल कहीं है! छाँव मेरे बगल में आधी धूप है रंग कुदरत का पता नहीं अलग-अलग तेरे रूप है मैं बेचारा देख रहा गिरते पेड़ों की पत्तियाँ यूँ मस्त नहीं हुँ हवा में मैं अभी देख रहा हुँ गिरते पेड़ों की पत्तियाँ - nickyshukla #bagalmai