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मन से मन का हो मिलन अपनेपन सी अब बात कहा हजारों

मन से मन का हो मिलन 
अपनेपन सी अब बात कहा

हजारों रंग के रिश्ते
पर भाईचारे की अब चाह कहा

तीज त्यौहारो की चमक
पर मनाता अब कोई साथ कहा 

साथ भीड़ सा अब 
पर दिलों में मिलती अब मिठास कहा 

लेन देन का व्यवहार यहां
सम्मान अधिकार से अब भाव  कहा

पूरी हो जिम्मेदारी भार भाव यहां
खुशी पूर्ण कर्तव्य कर्म अब लगाव कहा 

साथ रहकर मिले ठंडक
 ऐसे मिलते अब विचार  कहा*****!

©kanchan Yadav
  #titliya