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एक डरी हुई सहमी हुई लड़की खिड़की से बाहर देखते

 एक डरी  हुई सहमी हुई लड़की खिड़की से 
बाहर देखते हुए  खुद से यह कहती है।*

आज भी देखती हूं जब खिड़की के बाहर
याद आ जाता है मुझे वह खौफनाक मंजर,
घेर लिया था कुछ लोगों ने एक सज्जन को
हाथ में थे उस दिन उन सभी के खूनी खंजर!

सभी लोग चुप्पी साधे बस देखने लगे तमाशा
मौजूद थी भीड़ लेकिन कुछ नहीं कह रहे थे,
असहाय पर करके चाकू के अनगिनत वार
ऐसी क्रूरता को बेशरम मर्दानगी कह रहे थे!

पल भर में कर दिया निहत्थे को लहूलुहान
गर्दन झुकाए खड़े थे सभी नपुंसक बनकर ,
एक बार भी आगे नहीं आया बचाने उनको
पड़े रहे घायल अवस्था में वह सड़क पर।

पुलिस एंबुलेंस में ले गई उन्हें अपने साथ
कातिलों के खिलाफ होगी कानूनी कार्यवाही,
ना जुटा पाई पुलिस कोई भी पुख्ता सबूत
इंसाफ के लिए तड़पती फाइल बंद हो गई !

©SumitGaurav2005
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