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तेरे हुस्न के दीदार को, हर करम कर जाउ, तू देखे हस

तेरे हुस्न के दीदार को,
हर करम कर जाउ,
तू देखे हस के जो एक बार मुझे,
मैं मरते-मरते जी जाउ।।

तुझे खबर क्या??
किस क़दर तुझपे मारता हूँ,
जो नम हो कभी आँखे तेरी?
सारी रात मैं भी भीगता हूँ।।

केह दे जो कभी इश्क़ है तुझे भी,
मैं बैठे-बैठे जन्नत पा जाउ।
सच कहू? पाकर तुझे,
मैं मरते-मरते जी जाउ।।

Mulahiza farmayiyegaa 
बातें जो ग़मो की हो,
तो शायर पल भर में लिख जाये।
लिखने जो बैठा तारीफे तेरी....
कम्बख्त जाने क्यों, अल्फ़ाज़ कम पड़ जाये।। mood swings
तेरे हुस्न के दीदार को,
हर करम कर जाउ,
तू देखे हस के जो एक बार मुझे,
मैं मरते-मरते जी जाउ।।

तुझे खबर क्या??
किस क़दर तुझपे मारता हूँ,
जो नम हो कभी आँखे तेरी?
सारी रात मैं भी भीगता हूँ।।

केह दे जो कभी इश्क़ है तुझे भी,
मैं बैठे-बैठे जन्नत पा जाउ।
सच कहू? पाकर तुझे,
मैं मरते-मरते जी जाउ।।

Mulahiza farmayiyegaa 
बातें जो ग़मो की हो,
तो शायर पल भर में लिख जाये।
लिखने जो बैठा तारीफे तेरी....
कम्बख्त जाने क्यों, अल्फ़ाज़ कम पड़ जाये।। mood swings