मनहरण घनाक्षरी "गीत ऐसे गाइए" माटी की महक लिए, रीत की चहक लिए, प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए। छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें, बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए। दिलों में निवास करें, तम का उजास करें, देश का विकास करें, मन में ये धारिए। भारती की आन बान, का हो हरदम भान, विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।। ©बासुदेव अग्रवाल नमन #मनहरण_घनाक्षरी #घनाक्षरी #घनाक्षरी_छंद