दूसरो में कमियां कैसे निकालूं खुद को संवारने से वक्त नहीं मिलता कैसे कह दूं, उनको गलत मैं खुद को सही करने का वक्त नहीं मिलता एक उंगली उन पर क्या उठाई तीन उंगलियां खुद पर उठने लगी एक बुराई उनकी क्या निकाली मेरी आत्मा मुझसे सवाल करने लगीं बस मसरूफ़ हूं, आजकल मैं यारो खुद से खुद की मुलाकात कर लूं जो छूट गए थे दिल के अरमान चलो आज उन्हें पूरा कर लूं कौन क्या हैं मुझे क्या ही करना बस मुझे खुद को जवाब हैं देना क्या खुद को समझ पाई हूं खुद को काबू मैं कर पाई हूं जबाब अभी भी नहीं मिलता इसलिए मेरा बक्त खुद के साथ गुजरता जिस दिन खुद पर संयम पा लूंगी तब किसी और की ओर रूख करूंगी स्वरचित ✍🏻 ©aanchal mishra मशरूफ हूं यारो.. ✍🏻 #mashruf #Self #Love #Nojoto #Poetry #poem #poem✍🧡🧡💛 #poetry_addicts #nojotohindi #IFPWriting