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((( विधा - कुण्डलिया=दोहा+रोला ))) ***************

((( विधा - कुण्डलिया=दोहा+रोला )))
***************
मानवता के नाम पर,है कुछ मानव शेष !
मानव अब दानव हुए,है यह बात  विशेष !!
है यह बात विशेष,पशु बेबस औ लाचार !
जीव दया कीजिये,अपनाये सद आचार !
जीवन महत्व सतोल,कर्म,धर्म व निष्पक्षता !
जीव-जीव आधार,मानव मूल मानवता !!
**************
लेखक- कवि राहुल पाल 
पूर्णतया मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
((( विधा के बारे में कैप्शन में पढ़े )))

©कवि राहुल पाल विधा- कुण्डलिया 
विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे यूँ भी कह सकते हैं कि कुंडलिया के पहले दो चरण दोहा तथा शेष चार चरण रोला से बने होते है।
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
अब प्रश्न यह है कि दोहा और रोला क्या है ..?
😲😲
*** दोहा ***
 दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
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((( विधा - कुण्डलिया=दोहा+रोला )))
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मानवता के नाम पर,है कुछ मानव शेष !
मानव अब दानव हुए,है यह बात  विशेष !!
है यह बात विशेष,पशु बेबस औ लाचार !
जीव दया कीजिये,अपनाये सद आचार !
जीवन महत्व सतोल,कर्म,धर्म व निष्पक्षता !
जीव-जीव आधार,मानव मूल मानवता !!
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लेखक- कवि राहुल पाल 
पूर्णतया मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
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©कवि राहुल पाल विधा- कुण्डलिया 
विवरण - कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे यूँ भी कह सकते हैं कि कुंडलिया के पहले दो चरण दोहा तथा शेष चार चरण रोला से बने होते है।
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अब प्रश्न यह है कि दोहा और रोला क्या है ..?
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*** दोहा ***
 दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
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