बस अब ठहरना है रूखे रस्तो पे पगभर चलना है सेतु या पुल हो संभलना मुश्किल हो या सुखी पगडण्डी हो चाहे जंगल हो में रुकूँगा नही में ज़ुकूँगा नहीँ मंज़िल है दूर अभी ये मृगज़ल का झरना है बस अब ठहरना है जब तलक साहिल न दिखे थोड़ा और करना है थोड़ा और चलना है #dharmuvach✍ #cinemagraphlove #cinemagraphhindi #poem #insporation #basabthahrnahai #dharmuvach✍