इंतज़ार के लम्हे बा'ज़-दफ़ा बड़े शदीद होते हैं कैसे समझाएँ कि किस क़दर मज़ीद होते हैं। कश्मकश से बावस्ता ख़ुद के रक़ीब होते हैं, ख़त्म हो दौर ए इंतज़ार वही लम्हे हबीब होते हैं। शदीद- Strong, Intense, बाज़ दफ़ा -Sometime मज़ीद-Greater, Increased हबीब-Beloved, Sweetheart, Friend बावस्ता-Bound together, Related, Connected, रक़ीब-Opponent, Competitor, Rival