तालीम तहज़ीब अब सब ज़िन्दगी से ही खफ़ा हो गई, इन्सानियत की आड़ में यों मौत ही अब बेवफ़ा हो गई। ताजमहल बनाना तुम्हारी कमज़ोरी न ही रही हो चाहे, कारीग़रों को सज़ा देना ही अब बस यों वफ़ा हो गई। नफ़े नुकसान का ज़िक्र हमारी किताबों में न था कभी, ज़िन्दगी की सबसे बड़ी दौलत ही उनकी सफा हो गई। ख़िलाफ़त जिनकी थी अपनी कभी उनके खिलाफ़, हुकूमत के चलते ही वो बात यों ही रफा दफा हो गई। गुनाहों की सज़ा देना ज़रूरी रहा ही नहीं था कभी भी, गुनाह ही अब न रहे जिनकी गिनती कई दफ़ा हो गई। जीने के कायदे सिखाने वाले ही सब जाहिल निकले, ज़िन्दगी मौत बन कर जिनकी यों ही बावफ़ा हो गई। तआरुफ ज़िन्दगी से करवाने वो जो कभी निकले थे, तआल्लुक नहीं रहा अब कज़ा भी यों ही ज़फा हो गई। ज़िन्दगी में इन्सानियत की कीमत ही नहीं रही कहीं, जिनकी कज़ा ही नुक्सान और ज़िन्दगी नफ़ा हो गई। #तालीम #ख़िलाफ #तहज़ीब #ख़िलाफ़त #तआरूफ #तआल्लुक #yqhindi #bestyqhindiquotes