"मुझको मेरी पायल में मत बांधो, "मुझे उसकी झंकार सुननी है, "मुझको मेरे कंगन में मत कैद करो, "मुझे उसकी खनक सुननी है, "मुझको मेरे लाल सिंदूर में मत देखो, "यह तो मेरे सिंगार के लिए उपहार है, "मुझको माथे की बिंदिया में मत तोलो, "यह मुझे संपूर्ण करती है, "कानों की बालियां जब, 'पल-पल हिलती है,, 'तो स्त्री होने का संपूर्ण, "एहसास कराती है, "होठों की लाली मुझ में मिठास भरती है,, "ये आंखों का काजल, "महकता है तो मुझ में, "आत्मविश्वास भरता, "मुझे स्त्री तत्व से भर देता, "ये स्त्री के श्रृंगार के साधन,, "स्त्री के लिए नहीं ये बंधन,,,,,, #yqdidi #women #stree #womenpower #womens_voice #nariसाहित्यकक्ष #narrikaadhikar #nature