सवाल केवल रिप्ड जीन्स का नही है? कपडे़ ऐसे धारण कर समाज में निकलना चाहिए जो स्वयं की निगाहों में और हमारे अतराफ विचरण करने वालों की निगाहों में भी न खटके। हम सुविधा के साथ-साथ सुरक्षित भी महसूस करे। वरना आधुनिकता के नाम पर अपने आपको माॅडर्न दिखाने की कोशिश में हम अपना तमाशा ही ना बना ले। आपको अत्यधिक ही comfort feel करना हो तो घर किस लिए है। आप जिस अवस्था में रहे आपकी मर्जी। यह सवाल हम मात्र इसलिए आप से पूछ रहे हैं क्योंकि अभी हाल में यह मसला चर्चा में था। हम व्यक्ति के पहनावे की पूर्ण स्वतंत्रता के पक्षधर हैं बिना किसी किन्तु परन्तु के पुरुष हो अथवा स्त्री, वे एड़ी से चोटी पूर्ण रूप से वस्त्र में रहना चाहते हैं तो पूर्ण रूप में रहें पुरुष धोती पहने या जीन्स, स्त्री साड़ी पहने या जीन्स, हम इसे पूर्ण रूप से व्यक्तिगत मामला मानते हैं। चाहे पुरुष और स्त्री ऐसा कपड़ा पहने कि केवल आँख दिखे अथवा पुरुष स्त्री दिगम्बर रहें वह व्यक्ति की निजी इच्छा है।