जनमन के ये दर्द और ये मुश्किलें, दिन-रात उठती रास्तों पर ये हलचलें, उथल-पुथल इत्-उत् भावविक्लपों की, कभी सहज शिथिल कल्पनाओं की। जस भूल अनंत कोटी नाम की टेक जन्मों कृतकर्मों के ढ़ोते भग्नावशेष ।। Shree 🤎 / Truth of human life / #a_journey_of_thoughts ............................. नमस्कार लेखकों!🌺