नहाकर निकल ही रहा था मैं गुसलखाने से कि मुझे आवाज़ आने लगी लगे आईने से। मैंने थोड़ा नज़दीक जाकर देखा तो सुबका और कहा बहुत दुःखी है वो इस ज़माने से। मैंने पूछा फ़िर, किस बात का ग़म सताता है आँख बरस पड़ी उसकी किसी के सताने से। कुछ सम्भला, जब उसे थोड़ा ढ़ाँढस बंँधाया कोशिश बेकार थी, ना हँसा वो हँसाने से। आख़िर में माना, और बताने लगा अपनी बोला बहुत दिक्कत है उसे लोगों के नहाने से। कारण पूछा तो, उसकी बात चुप करा गई फ़ुरसत नहीं किसी को ऊपर लगे निशाँ हटाने से। आईना लगाओ, ख़ुद नहाओ और आईने को भी नहलाओ.. उसे ऐतराज है कि पानी के छीटें कोई हटाता नहीं नहा लेने के बाद..! #kumaarsthought #kumaarpoem #आईना #mirror #mirrortalk #आईनेसेबात #kumaartalkingnonlivingthings #abstractwriting