गले की प्यास होंठों से छुपानी आ गई हमें यूँ धूल बातों पर उडानी आ गई भुला डाला जिसे कबका कभी सोचा न था हमें फिर याद भूली वो कहानी आ गई कि उछली मौज जज्बों की गया दरिया सहम गया था जम लहू रग में रवानी आ गई किया उर्दू उसे खुद रोशनाई बन गए कि गजलों में मिरी जबसे जवानी आ गई गया सीने मिरे कुछ आज शीशे सा दरक उभर के चोट ज्यादा यूँ पुरानी आ गई sspna manglik #shayri#brokenheart#sapnawritesup