ना घर में ना बाहर हूँ मैं, ना पास ना दूर हूँ मैं! बस भटक रहा हूँ दर बदर...हाँ मजदूर हूँ मैं! बस चंद रोटियो के लिये रोज़ बोझ ढोता हूँ! थक कर बस यही फुटपाथ पर ही सोता हूँ! टूटता नहीं हूँ अपने घर का एक गरुर हूँ मैं! बस भटक रहा हूँ दर बदर...हाँ मजदूर हूँ मैं! महलो से ले के सड़को तक काम करता हूँ! पटरियो और सड़को पर कट कर मरता हूँ! ऐसी बदतर जिन्दगी जीने को मज़बूर हूँ मैं! भटक रहा हूँ बस दर बदर..हाँ मजदूर हूँ मैं! मौत क्या हैं ज़िन्दगी से दिल सहम जाता है! मुझे तो खुद के होने पर अब रहम आता है! न निभा पाया खुद को वो पुराना दस्तूर हूँ मैं! भटक रहा हूँ बस दर बदर...हाँ मजदूर हूँ मैं! ✒Anoop S. #Art #Anoops #Theincomparable #TheUniqueS #LafzDilSe