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यूक्रेन पर उसके लगातार हो रहे हमलों में नाटो ने लो

यूक्रेन पर उसके लगातार हो रहे हमलों में नाटो ने लोकतंत्र के लिए निर्णय चुनौती मानकर अपना आवाज सम्मेलन बुलाया इससे संबंधित करने के लिए अमेरिका राष्ट्रपति जो बिडेन मिले थे जा रहे हैं उन्होंने चीनी राष्ट्रपति किंगफोग से भी अनुरोध किया है कि युद्ध में रूस की मदद और असैन्य मदद ना करें सीने तटस्थ रहने की बात दोहराई है यदि हमें रोक के सामरिक संतुलन को देखें तो रूस के पास अभी नाटो देशों के कुल परमाणु हथियार से भी बड़ा परमाणु उर्जा कर रहे यूरोपीय देशों की कुल सेना से कहीं बड़ी और शक्तिशाली सेना है ना कि केवल सारी रूपी देशों में कहीं अधिक रक्षा सामग्री बल्कि उन्हें कहीं ज्यादा युद्धों का अनुभव है यूरोप में उसकी हैसियत सर्कस के रंग खड़े एक जैसी है जिसकी सामने बिल्लियों का झगड़ा होने के पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन की दलाली है उनका मकसद अपने पड़ोस में लगाना है इस वास्तविकता के स्तर पर पर के ही यदि दिखता है तो नोटों की नीति विस्तार बाद होती है 1989 से 1993 के बीच ही पूर्व यूरोप में विस्तार कर लिया होता है उन दोनों और उसकी हालत अदाएं ने दी थी तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरोलीन चाहते थे कि रूस के नोटों में शामिल कर लिया जाए परंतु ना तो इसके लिए तैयार नहीं हुआ कुछ विश्लेषक कहते हैं कि रूस असल में यूक्रेन पर हमले के जारी नाटो और अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि उनके एक छात्र दबदबे के दिल दे चुके हैं अब उन्हीं की रोशनी तो और चिंताओं की परवाह भी करनी होगी हालांकि हमले की कुर्ता और विश्वास की दरों के दुनियाभर में फैला रहा है करीब महीने भर ही लड़ाई के बाद रूस यूक्रेन के 1 बड़े शहर पर पूरा नहीं कर पाई अस्पताल स्कूल और भी हो रही बमबारी में 9 लोग मारे जा रहे हैं

©Ek villain #रूस पर भारी पड़ता युद्ध

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यूक्रेन पर उसके लगातार हो रहे हमलों में नाटो ने लोकतंत्र के लिए निर्णय चुनौती मानकर अपना आवाज सम्मेलन बुलाया इससे संबंधित करने के लिए अमेरिका राष्ट्रपति जो बिडेन मिले थे जा रहे हैं उन्होंने चीनी राष्ट्रपति किंगफोग से भी अनुरोध किया है कि युद्ध में रूस की मदद और असैन्य मदद ना करें सीने तटस्थ रहने की बात दोहराई है यदि हमें रोक के सामरिक संतुलन को देखें तो रूस के पास अभी नाटो देशों के कुल परमाणु हथियार से भी बड़ा परमाणु उर्जा कर रहे यूरोपीय देशों की कुल सेना से कहीं बड़ी और शक्तिशाली सेना है ना कि केवल सारी रूपी देशों में कहीं अधिक रक्षा सामग्री बल्कि उन्हें कहीं ज्यादा युद्धों का अनुभव है यूरोप में उसकी हैसियत सर्कस के रंग खड़े एक जैसी है जिसकी सामने बिल्लियों का झगड़ा होने के पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन की दलाली है उनका मकसद अपने पड़ोस में लगाना है इस वास्तविकता के स्तर पर पर के ही यदि दिखता है तो नोटों की नीति विस्तार बाद होती है 1989 से 1993 के बीच ही पूर्व यूरोप में विस्तार कर लिया होता है उन दोनों और उसकी हालत अदाएं ने दी थी तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरोलीन चाहते थे कि रूस के नोटों में शामिल कर लिया जाए परंतु ना तो इसके लिए तैयार नहीं हुआ कुछ विश्लेषक कहते हैं कि रूस असल में यूक्रेन पर हमले के जारी नाटो और अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि उनके एक छात्र दबदबे के दिल दे चुके हैं अब उन्हीं की रोशनी तो और चिंताओं की परवाह भी करनी होगी हालांकि हमले की कुर्ता और विश्वास की दरों के दुनियाभर में फैला रहा है करीब महीने भर ही लड़ाई के बाद रूस यूक्रेन के 1 बड़े शहर पर पूरा नहीं कर पाई अस्पताल स्कूल और भी हो रही बमबारी में 9 लोग मारे जा रहे हैं

©Ek villain #रूस पर भारी पड़ता युद्ध

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