जहां में वो एक क़ुदरती करिश्मा था कुछ यूं ही आसमान में देख रहा था नजर आया कि एक पंछी उड़ रहा था वो हमारे नजदीक होकर भी दूर था कुछ यूं ही आसमान ने देख रहा था आकाश में बदलो के बीचों बीच था हवाओँ में तितली की तरह मंडरा रहा था ऐसा लगा कुछ दूर जाकर देख रहा था आकाश में बदलो के बीचों बीच था कभी बदलो में छिपता और निकलता था वो विचरण करने वाला एकलौता पंछी था हमेशा दिन या रात को नजर आता था कभी बदलो में छिपता और निकलता था जहां में वो एक कुदरती करिश्मा था बिन मांगे जग को सब कुछ देता था यही उस परिंदे का एक मात्र ड्यूटी था जहाँ में वो एक कुदरती करिश्मा था prakash uikey #pupoetry675022 #puquote20 #puuniquethoughts22 #pkshayari6750 #pkquote6750