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अजनबी से तुम हो अजनबी से हम भी हैं अजनबी सी ही है

अजनबी से तुम हो अजनबी से हम भी हैं 
अजनबी सी ही है ये हर सू ख़ामोशियांँ,
निगाहें निगाहों से जब मिली कैसी गुफ्तगू 
होने लगी है तेरे मेरे दिलों के दरमियाँ।

ना तुम आगे बढ़े और ना हम आगे बढ़े 
फिर कैसे मिटेंगी दरमियाँ की ये दूरियांँ,
तुम भी ख़ामोश से और हम भी ख़ामोश से 
दरमियाँ रह जाएँगी बस चुभती ख़ामोशियाँ।

चाहत तेरी भी है और चाहत मेरी भी है 
पर सामने हैं हमारे जमाने की मजबूरियांँ,
जिंदगी की चाहते रह जाएंँगी अधूरी और 
ना हो पाएंँगी कभी तेरे मेरे बीच यारियांँ। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

🌼आज का हमारा विषय "चुभती ख़ामोशी" एक ऐसा विषय है जो किसी अपने के ख़ामोश होने से जिस पीड़ा का अनुभव होता है, उस अहसास को शब्दों में ढालने का एक प्रयास कीजिए...
आशा है आप लोगों को पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।
अजनबी से तुम हो अजनबी से हम भी हैं 
अजनबी सी ही है ये हर सू ख़ामोशियांँ,
निगाहें निगाहों से जब मिली कैसी गुफ्तगू 
होने लगी है तेरे मेरे दिलों के दरमियाँ।

ना तुम आगे बढ़े और ना हम आगे बढ़े 
फिर कैसे मिटेंगी दरमियाँ की ये दूरियांँ,
तुम भी ख़ामोश से और हम भी ख़ामोश से 
दरमियाँ रह जाएँगी बस चुभती ख़ामोशियाँ।

चाहत तेरी भी है और चाहत मेरी भी है 
पर सामने हैं हमारे जमाने की मजबूरियांँ,
जिंदगी की चाहते रह जाएंँगी अधूरी और 
ना हो पाएंँगी कभी तेरे मेरे बीच यारियांँ। सुप्रभात,
🌼🌼🌼🌼

🌼आज का हमारा विषय "चुभती ख़ामोशी" एक ऐसा विषय है जो किसी अपने के ख़ामोश होने से जिस पीड़ा का अनुभव होता है, उस अहसास को शब्दों में ढालने का एक प्रयास कीजिए...
आशा है आप लोगों को पसंद आएगा।

🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।