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इन झील सी आंखों में डूब जाऊं सारे सपने जो बसे हैं

इन झील सी आंखों में डूब जाऊं
सारे सपने जो बसे हैं इनमें उनको साकार करता जाऊं
काजल से गहरी रातों में सुबह की लाली बिखराऊं
दिल करता है खूबसूरती की मूर्ती को और सवारता जाऊं

©Dr  Supreet Singh
  #ये_झील_सी_आंखें