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नहि बदलतै समाजक कोनो आब रीत आ नहि टूटतै कखनो संबंध

नहि बदलतै समाजक कोनो आब रीत
आ नहि टूटतै कखनो संबंधक ई धार ।। 

आब केकरो नहि केकरो सँ मतलब कोनो
सब जीबि रहल अछि अपन व्यवहार
माय बाबु सँ बनि गेल अछि दूरी एतेक
कोना सम्हरत असगरे आब ई परिवार
नहि रहतै आब कोनो गप शप आ प्रीत
आ नहि हेतय कखनो शब्दक ई प्रहार ।।

©राघव रमण
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