मिलने को बेकरार चांद, चुपके से आ बेठा खिड़की पर मेरी, झांका खिड़की से और इठला कर मैं बोली, क्या करते हो इतना प्यार तो बुला क्यों ना लेते मुझे अपने पास,बैठुंगी मैं साथ तुम्हारे। सुन कर मेरी ये बात हो गया नाराज मेरा चांद और छुप गया बादलों के पार,कि मिन्नतें बहुत तब जाकर माना कहीं मेरा चांद। -Neha_Pandya #मेरा_चांद