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मां! ओ मां... मैंने नहीं देखा तुझे सोते, नहीं देखा

मां! ओ मां...
मैंने नहीं देखा तुझे सोते,
नहीं देखा तुझे थकते,
बस देखा तुझे चींटी के जैसे
दिन भर बोझा ढोते।

मां! ओ मा...
तू किस मिट्टी की बनी है?
इस जर्जर सी देह में
कभी ना खत्म होने वाली ऊर्जा 
कहां से भरती है?

अच्छा एक बात बता!
तेरा नई साड़ी पहनने को जी नहीं करता?
ज्वर में भी आराम करने का मन नहीं करता?
पापा जब बे वज़ह डांटते हैं,
तो रूठने का मन नहीं करता?
मैं जब बे वज़ह झुंझलाता हूं,
तो प्रति उत्तर करने का मन नहीं करता?

मां! ओ मां...

©Harendra Singh Lodhi #मां #मदर्सडेस्पेशल #माता #माई

#MothersDay2021
मां! ओ मां...
मैंने नहीं देखा तुझे सोते,
नहीं देखा तुझे थकते,
बस देखा तुझे चींटी के जैसे
दिन भर बोझा ढोते।

मां! ओ मा...
तू किस मिट्टी की बनी है?
इस जर्जर सी देह में
कभी ना खत्म होने वाली ऊर्जा 
कहां से भरती है?

अच्छा एक बात बता!
तेरा नई साड़ी पहनने को जी नहीं करता?
ज्वर में भी आराम करने का मन नहीं करता?
पापा जब बे वज़ह डांटते हैं,
तो रूठने का मन नहीं करता?
मैं जब बे वज़ह झुंझलाता हूं,
तो प्रति उत्तर करने का मन नहीं करता?

मां! ओ मां...

©Harendra Singh Lodhi #मां #मदर्सडेस्पेशल #माता #माई

#MothersDay2021