Maa देखता समझता हूं मैं भी, मिलता तुमको आराम कहां?? जब तक मंज़िल मिल ना जाए.. मुझको भी विश्राम कहां!!! त्याग तपस्या के बिन बनते, कौशल्या के राम कहां?? क्षत्राणी मांओं के बेटे, छोड़ते हैं संग्राम कहां!! आंखों में आसूं लेकर, हम दोनों ही लड़ते हैं.. रिश्तों की परवाह ना करना, बनते हैं , बिगड़ते है!!! संघर्ष के आंसू हमारे, खुशियां लेकर आएंगे.. तुम देखना मां एक दिन, हम सब मुस्कुराएंगे!! हम सब मुस्कुराएंगे!! #ygoriginals