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**निम का पेंड**((गीत)) ******************* बड़ा निक

**निम का पेंड**((गीत))
*******************
बड़ा निक लागे मोरा बाबा के गांव में।
सब कोई गप करे निमिया के छांव में ।।
सुबह शाम दुपहरिया में लागे बैठाका।
बुढ़वा -जवनकन के लागेला ठहाका।।
दुखवा सभे भूल जाला हंसिया के भाव में।
बड़ा.................... ................।।
निमिया पतैइया होला बड़ा रे उपयोगी।
अगल-बगल सबका के रखे उ निरोगी।।
देहिंया में होखे जब घाव, फोड़ा-फुंसी।
निमिया पतैइया तुर लावेला 'तुलसी'।।
कूट-काट के पतैइया चढावेला घाव में।
बड़ा निक-----------------------।।
जब भोजन के कड़वा दांते में फंस जाला।
निमिया के सिंकवा से दंतवा खोदाला।
निमिया के सब गुण छिपे पात और छाल में।
गँऊंआ के लोगवा कूट-काट के लगावेला बाल में।
निमिया के पेड़वा लगावे लोग पूजा के भाव में।
बड़ा निक ................................।।
चिरंयीं के चहकल निमिया पे सुने सब कोई।
निमिया के दतुअन से सभे मुंह धोयी।।
'राजेश कुमार'के बिनती सुन ल तुहूँ सब कोई।
अपने-अपने दुहरा पे निमवा के पेड़वा द बोई।।
तबे सब कोई निरोग रही शहर और गांव में।
बड़ा निक लागे मोरा बाबा के गांव में।
सब कोई गप करे निमिया के छांव में।।
Tr-RAJESH KUMAR
**निम का पेंड**((गीत))
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बड़ा निक लागे मोरा बाबा के गांव में।
सब कोई गप करे निमिया के छांव में ।।
सुबह शाम दुपहरिया में लागे बैठाका।
बुढ़वा -जवनकन के लागेला ठहाका।।
दुखवा सभे भूल जाला हंसिया के भाव में।
बड़ा.................... ................।।
निमिया पतैइया होला बड़ा रे उपयोगी।
अगल-बगल सबका के रखे उ निरोगी।।
देहिंया में होखे जब घाव, फोड़ा-फुंसी।
निमिया पतैइया तुर लावेला 'तुलसी'।।
कूट-काट के पतैइया चढावेला घाव में।
बड़ा निक-----------------------।।
जब भोजन के कड़वा दांते में फंस जाला।
निमिया के सिंकवा से दंतवा खोदाला।
निमिया के सब गुण छिपे पात और छाल में।
गँऊंआ के लोगवा कूट-काट के लगावेला बाल में।
निमिया के पेड़वा लगावे लोग पूजा के भाव में।
बड़ा निक ................................।।
चिरंयीं के चहकल निमिया पे सुने सब कोई।
निमिया के दतुअन से सभे मुंह धोयी।।
'राजेश कुमार'के बिनती सुन ल तुहूँ सब कोई।
अपने-अपने दुहरा पे निमवा के पेड़वा द बोई।।
तबे सब कोई निरोग रही शहर और गांव में।
बड़ा निक लागे मोरा बाबा के गांव में।
सब कोई गप करे निमिया के छांव में।।
Tr-RAJESH KUMAR
rajeshkumar4408

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